07 September, 2010


कहानी - प्यार, विजय और धन की

एक घर में साँस, ससुर और बहू रहते थे। एक दिन साँस घर के बाहर आयी तो उसने देखा कि तीन बूढे आदमी घर के सामने एक पेड के नीचे बैठे हैं। उनको देखकर साँस ने सोचा कि वे भिखारी होंगे। साँस ने उनसे कहा - " आप मेरे घर आइए। खाना खाकर जाना।" तीन बूढों में से एक बोला - " हम तीनों ऐसे वहाँ नहीं आ सकते। मैं धन हूँ, ये मेरे मित्र विजय और प्यार हैं। आप हम में से किसी एक को ही घर बुला सकते हैं।" साँस बोली कि मैं अपने पति से पूछ्कर बताऊँगी। वे अंदर गयीं। अपने पति से सारी बातें बतायीं। पति बोल उठे,

" हमन को ही बुला लेंगे, ताकि हमारा घर संपत्ति से भर जाए। " यह सुनकर साँस बोली, "नहीं हम विजय को बुला लेंगे, ताकि हमें हर समय विजय मिल जाएगी।" यह सुनकर बहू वहाँ आयी। वह बोली, "माँजी, हम प्यार को घर पर बुला लेंगे, अगर प्यार है तो विजय और धन दोनों मिल जाएँगे।" साँस बोली, " यह तो अच्छी बात है, हम पहले प्यार को ही बुलाएँगे।"

इतना कहकर वह बाहर चली गयी। वहाँ तीनों बूढे उनका इंतज़ार कर रहे थे। उनको देखते ही साँस बोली, "धन भैया और विजय भैया, आप मुझसे क्षमा करें। हम पहले प्यार को ही अंदर बुला सकते हैं।" यह सुनकर विजय बोल उठा, " आपने ठीक ही किया है, अब हम तीनों तुम्हारे घर आएँगे। प्यार के बिना हम दोनों कहीं जाते नहीं हैं। अगर आप धन को या मुझको बुला लेते तो हम तीनों कभी तुम्हारे घर आनेवाले नहीं थे।"

1 comment:

संगीता पुरी said...

प्यार के बिना हम दोनों कहीं जाते नहीं हैं। अगर आप धन को या मुझको बुला लेते तो हम तीनों कभी तुम्हारे घर आनेवाले नहीं थे।
कहानी के माध्‍यम से बढिया संदेश !!