मलयालम के प्रमुख कवयित्री सुगतकुमारी जी 2009 के एषुत्तच्छन पुरस्कार के लिए चुनी गयीं।

ये मलयालम साहित्य को दे रही वरदानों को मद्धे नज़र रखते हुए ये विशिष्ट पुरस्कार इनको दिया जा रहा है। केरल के मौन घाटी जंगल की संरक्षण के लिए सुगतकुमारी जी ने जो कदम उठाये हैं, वह मानव और प्रकृति के बीच सुसंबंध का एक नया मोड दे दिया है। समाज में पीडा से तरे हुए स्त्रियों की संरक्षण के लिए भी ये जो कर्म कर रही हैं, वह सब भारत की नारी का उज्वल चित्र हमारे सामने ला रहा है। पि

आइए उनकी एक कविता पढें … रात की बरसात ...

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