09 June, 2011

दसवीं का नया पाठपुस्तक आप के सम्मुख है। पहली इकाई की कविता पर एक प्रयास...
ज्ञानेंद्रपति जी की नदी और साबुन...
आगे पढें... मधुर-कविताएँ पन्ने पर...

07 March, 2011




सब कुछ लॉकल है यहाँ पर !!!
अमरिका के एक महोदय एक बार इस दुनिया के सारे गिरजाघरों के बारे में एक किताब लिखना चाहा। पहले उस ने तय किया कि हर देश जाकर वहाँ के गिरजाघरों का इतिहास पढें।
उस ने अपने सफर की शुरुआत चीन से किया।
पहले दिन में वह एक गिरजाघर के अंदर कुछ चित्र खींच रहा था कि उस की नज़र दीवार पर लटका एक बहुत ही खूबसूरत सोने का एक दूर भाषण यंत्र पर पडी।
उस के नीचे एक सूचना
भी लिखा था कि "एक कॉल का $१०,०००." महोदय ने कुतूहल के साथ वहाँ के पादरी से पूछा कि यह दूर भाषण यंत्र किस के लिए उपयोग किया जाता है ?
वहाँ के पादरी ने जवाब दिया कि यह ईश्वर से बातें करने का सीधा दूर भाषण यंत्र है, और $१०,००० देकर वह ईश्वर से बातें कर सकता है।
महोदय ने धन्यवाद प्रकट किया और अपना रास्ता पकडा।
इस बार यह महोदय जापान गये। वे वहाँ के एक बहुत ही बडे गिरजाघर गये। वहाँ भी उन्होंने ऐसा एक दूर भाषण यंत्र और उस के नीचे सूचना देखी।
उन्होंने ताज्जुब के साथ
वहाँ के पादरी से पूछा कि क्या वह भी ईश्वर से बातें करने का सीधा दूर भाषण यंत्र है, तो पादरी बोले कि $१०,००० देने पर वे उस दूर भाषण यंत्र के ज़रिए ईश्वर सीधा बातें कर सकते हैं।
वहाँ भी महोदय ने धन्यवाद प्रकट किया और अपना रास्ता पकडा।

उस
के बाद उन्होंने पाकिस्तान, श्रीलंका, इँग्लैंड, वेस्ट
इन्डीज़, आस्त्रेलिया, कानडा, होलंड, बंगलादेश, केनिया, न्यूज़ीलैंड, दक्षिण आफ्रिका, अयरलैंड आदि देशों में गया।
हर देशों के प्रमुख गिरजाघरों में उन्होंने ऐसे ही दूर भाषण यंत्र देखे। उनके साथ ही थे उन जैसे सूचनाएँ।

अमरिका के महोदय अंत में भारत पहूँचे। वे तो वास्कोडगामा का रास्ता पकडकर सीधे केरल चले आये थे।
केरल पहूँचने पर वे यहाँ के सब से प्रमुख गिरजाघर पहूँचे। उनके मन में सब से पहले दौड आया कि क्या यहाँ भी ऐसा दूर भाषण यंत्र है !

पादरी ने उन्हें दिखाया।
ऐसा ही खूबसूरत सोने का बनाया हुआ दूर भाषण यंत्र और उस के नीचे सूचना।
पर यहाँ सूचना देखकर
वे चौंक पडे।
"एक कॉल का रू १."
महोदय बहुत ही खबराए और पादरी से पूछा :"मैं ने दुनिया भर का सैर किया। सब प्रमुख गिरजाघरों में गया। वहाँ सब ऐसा ही खूबसूरत दूर भाषण यंत्र भी देखा। पर वहाँ तो ईश्वर से बातें करने का $१०,००० लगता था। यहाँ सिर्फ रू १ में काम चलेगा। वह कैसे भाई साहब ??"
पादरी मुस्कुराया और बोला :"भाई साहब, अब आप भारत के केरल में है, ईश्वर का अपना देश!"

"यहाँ ईश्वर से बातें करने का सिर्फ स्थानीय कॉल है!!!"

27 February, 2011

नसीरुद्दीन का भाषण
एक बार नसीरुद्दीन के गाँववालों ने एक सभा का आयोजन किया। यह भी निश्चित किया गया कि मुल्ला नसीरुद्दीन उस में भाषण दें। नसीरुद्दीन बोले, मैं तो भाषण के लिए तैयार ही नहीं हूँ।
एक गाँववाला : "अरे मुल्ला, कुछ तो कहो। देखो सब लोग तुम्हारी अक्लमंदी की बातें सुनने के लिए आए हैं। "
सब मिलकर :"हाँ, हाँ कहो, कुछ तो कहो, हम सुनना चाहते हैं। "
मुल्ला : "ओहो, अरे, इन लोगों से क्या, कैसे बताऊँ, हाँ, हाँ, क्या आप लोग जानते हैं मैं क्या कहनेवाला हूँ ?"
लोग :"नहीं, नहीं, हम नहीं जानते.."
मुल्ला : "तो फिर आप से कुछ कहने का क्या फायदा ? आप तो यह तक नहीं जानते कि मैं क्या कहूँगा, ऐसे लोगों को कुछ कहना बेकार है। "
सब मिलकर :"अरे अरे मुल्ला, हम तुम्हें ऐसे नहीं जाने देंगे । "
मुल्ला : "पर आप तो यह नहीं जानते कि मैं क्या कहनेवाला हूँ । "
कुछ लोग : "हम जानते हैं, जानते हैं।"
मुल्ला : "लो, कर लो बात..., अगर जानते हैं, तो उसी बात को दोहराने का
कया फायदा। देख, कुछ भी कहना बेकार है तुम लोगों को।"
कुछ लोग : "हमें पता है... आप क्या कहनेवाले हैं।"
और कुछ लोग : "हमें नहीं पता कि आप क्या कहेंगे ?"
मुल्ला : "तो फिर ठीक है, जिन्हें पता है कि मैं क्या कहनेवाला हूँ, वे उनको बता दें जिन्हें नहीं पता कि मैं क्या कहूँगा।"
और मुल्ला मंच से उतरकर भाग गये ।

इस से क्या जानकारी मिलती है ...
समाज में कुछ ऐसे लोग है जो अपने आप को बहुत ऊँचा और सभ्य समझते हैं। वे दूसरे लोगों को चकमा देकर अपना कर्तव्य निभाने से दूर भागते और दूसरों को दोषी ठहराते भी हैं। ज़रा ऐसे लोगों से बचे रहें...

अब देखें इसकी वीडियो (Youtube में भी ...)

24 February, 2011

उद् घोषणाएँ...
हम ने कहाँ कहाँ उद् घोषणाएँ सुनी हैं ? ज़रा देखें ।

आज के ज़माने में ...

रेलवे स्टेशनों में ..
"यात्रीगण कृपया ध्यान दें, गाडी नंबर १२३४ कन्याकुमारी से दिल्ली तक जानेवाली रप्ती सागर एकस्प्रेस थोडी ही देर में प्लैटफार्म नंबर एक पर आने की संभावना है।"
बस अड्डों में ..
" एरणाकुलम, कुमरकम, कोट्टयम, कोल्लम से होकर जानेवाली बस नंबर ४५६ स्टेशन के पश्चिमी भाग पर खडी है। य़ात्री कृपया अपनी अपनी सीटों पर बैठे रहें। "
चुनाव के अवसर पर सडकों पर ..
"आप का जनप्रिय नेता, देश को उज्वल भविष्य प्रदान करनेवाला, अन्य दलों का दुस्वप्न, श्री श्री श्री को आप के मशहूर चिह्न पर अपना बहुमूल्य मतदान देकर विजेता बनाएँ।"
सरकस के मैदानों में ..
"जंगल का राजा शेर, हाथी के साथ फुटबाल खेलनेवाला बंदर, साइकल चलानेवाले तोते आदि सब एक ही छत के नीचे - आईए, देखिए और मनोरंजन करें।"
विद्यालयों में ..
" सभी बच्चे ध्यान दें। भारत को २०११ का क्रिकेट विश्व कप प्राप्त होने की खुशी में कल स्कूल में पढाई नहीं होगी।"
नाटक रंगमंचों में ..
" श्री देवदेव नाट्य केंद्र, वाराणसी की ओर से सब से मशहूर एवं रोमांचकारी नाटक, आप के सामने प्रस्तुत हैं - बरसात की यादों में, सूत्रधार श्री देवदेव, मूलकथा श्री कैलाशनाथ, अभिनेता श्री केदारनाथ, श्री काल भैरव, श्री गंगाधर, श्रीमती महादेवी, श्रीमती अमीरा। अगली घंटी के साथ नाटक शुरू होगा। "

पुराने ज़माने में जब आज की तरह सुविधाएँ नहीं थीं, तब राजा - महाराज,
लोगों की जानकारी के लिए चौराहों पर उद् घोषणाएँ सुनाया करते थे । सेवक बडे बडे ढोलक लिए यह काम करते थे। जैसे :

" सुनो, सुनो, सुनो, इस मुल्क के सभी वासियों, सुनो, सुनो, सुनो...
महा राजाधिराज यह घोषणा करते हैं कि आज से ठीक पंद्रह दिनों के अंदर सभी देशवासियों से लगान वसूल किया जाएगा । सुनो, सुनो, सुनो, इस मुल्क के सभी वासियों, सुनो, सुनो, सुनो...।"

दसवीं कक्षा की आदर्श परीक्षा (model exam) में एक सवाल पूछा गया था कि रियासत देवगढ़ में नए मंत्री की ज़रूरत है, और इस के लिए एक उद् घोषणा तैयार करें । उस का जवाब इस प्रकार लिख सकते हैं

"सुनो, सुनो, सुनो, इस मुल्क के सभी वासियों, सुनो, सुनो, सुनो... महा राजाधिराज यह घोषणा करते हैं कि हमारे मुल्क के लिए एक नए मंत्री की ज़रूरत है। कोई शैक्षिक योग्यताओं के प्रमाण पत्र लाने की आवश्यकता नहीं । जो पुरुष अपने आप को इस के लिए योग्य समझें, वे वर्तमान दीवान सरदार सुजान सिंह से संपर्क करें। सुनो, सुनो, सुनो, इस मुल्क के सभी वासियों, सुनो, सुनो, सुनो... इस शुभ अवसर का फायदा उठाएँ ।"