महत् वचन



गाँधी जी की सूक्तियाँ
प्रार्थना
  • भोजन सब के लिए आवश्यक है तो प्रार्थना भी सब के लिए आवश्यक है।
  • कोई भी काम, ईश्वर के नाम पर और उसे अर्पित कर के किया जाता है, तो छोटा नहीं होता।
  • ईश्वर न तो उपर है, न नीचे किसी पाताल में, वह तो हर एक के हृदय में विराजमान है।
  • शरीर की खुराक जैसे अन्न है वैसे ही शरीर में पडी आत्मा की खुराक 'राम-नाम' है।
  • भक्त वह है, जो किसी से ईर्ष्या नहीं रखता, वह दया का भंडार है।



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