
और कुछ विश्लेषणात्मक टिप्पणियाँ…

मुंड मुडाए हरि मिलै, सब कोई लेय मुडाय ।
बार - बार के मुँडते, भेड न बैकुंड जाए ॥
ईश्वर का वरदान प्राप्त करने के लिए लोग बाल मूंडते हैं। उनका विश्वास यह है कि ऐसा करने से मरने के बाद वे वैकुँठ यानि ईश्वर के पास जा पाएँगे। भेडों को हम हर साल पूरा शरीर मूंडते हैं। क्या


1 comment:
बिलकुल ठीक कहा..कबीरदास ने ..
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