03 November, 2009

किरण बेदी : औरत उर्फ ज्वालामुखी

डॉ. किरण बेदी भारतीय पुलीस सेवा की प्रथम वरिष्ठ महिला अधिकारी हैं। उन्होंने विभिन्न पदों पर रहते हुए अपनी कार्य-कुशलता का परिचय दिया है। वे संयुक्त आयुक्त पुलिस प्रशिक्षण तथा दिल्ली पुलीस स्पेशल आयुक्त (खुफिया) के पद पर कार्य कर चुकी हैं। इस समय वे संयुक राष्ट्र संघ के ‘शांति स्थापना ऑपरेशन’ विभाग में नागरिक पुलिस सलाहकार’ के पद पर कार्यरत हैं। उन्हें वर्ष 2002 के लिए भारत की ‘सबसे प्रशंसित महिला’ चुनी गयीं।
डॉ. बेदी का जन्म सन् 1949 में पंजाब के अमृतसर शहर में हुआ। वे श्रीमती प्रेमलता तथा श्री प्रकाश लाल पेशावरिया की चार पुत्रियों में से दूसरी पुत्री हैं। उन्होंने अमृतसर के सेक्रड हार्ट कोन्वेन्ट विद्यालय में प्राथमिक शिक्षा प्राप्त किया। वहाँ उन्होंने नाशनल केडट कोरप्स में भर्ती हुई। वे बचपन में टेन्नीस की खिलाडी भी रही थी। सन 1968 में अमृतसर के सरकारी महिला कालिज से उन्होंने अंग्रेज़ी में स्नातक की उपाधी प्राप्त की। सन 1970 को उन्होंने पंजाब विश्व विद्यालय से राजनीतिक शास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधी प्राप्त की, जिसमें वे प्रथम आयी थी।
सन 1972 में श्री ब्रिज बेदी से उनकी शादी हुई। उसी साल में उन्होंने अपनी सेवा भारतीय पुलीस में शुरू किया था।

सम्मान एवं पुरस्कार


उनके मानवीय एवं निडर दृष्टिकोण ने पुलिस कार्यप्रणाली एवं जेल सुधारों के लिए अनेक आधुनिक आयाम जुटाने में महत्वपूर्ण योगदान किया है। निःस्वार्थ कर्त्तव्यपरायणता के लिए उन्हें शौर्य पुरस्कार मिलने के अलावा अनेक कार्यों को सारी दुनिया में मान्यता मिली है जिसके परिणामस्वरूप एशिया का नोबेल पुरस्कार कहा जाने वाला रमन मैगसेसे पुरस्कार से उन्हें प्रदान किया गया। उनको मिलने वाले अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों की श्रृंखला में शामिल हैं - जर्मन फाउंडे्शन का जोसफ ब्यूज पुरस्कार, नार्वे के संगठन इंटशनेशनल ऑर्गेनाजेशन ऑफ गुड टेम्पलर्स का ड्रग प्रिवेंशन एवं कंट्रोल के लिए दिया जाने वाला एशिया रीजन एवार्ड जून 2001 में प्राप्त अमेरीकी मॉरीसन-टॉम निटकॉक पुरस्कार तथा इटली का ‘वूमन ऑफ द इयर 2002’ पुरस्कार।
उन्होंने दो सेवा संस्थाओं की स्थापना की हैं। सन 1988 में स्थापित नव ज्योति एवं सन 1994 में स्थापित इंडिया विजन फाउंडेशन। ये संस्थाएं रोज़ाना हजारों गरीब बेसहारा बच्चों तक पहुँचकर उन्हें प्राथमिक शिक्षा तथा स्त्रियों को प्रौढ़ शिक्षा उपलब्ध कराती है। ‘नव ज्योति संस्था’ नशामुक्ति के लिए इलाज करने के साथ-साथ झुग्गी बस्तियों, ग्रामीण क्षेत्रों में तथा जेल के अंदर महिलाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण और परामर्श भी उपलब्ध कराती है। डॉ. बेदी तथा उनकी संस्थाओं को आज अंतर्राष्ट्रीय पहचान तथा स्वीकार्यता प्राप्त है। नशे की रोकथाम के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा किया गया ‘सर्ज साटिरोफ मेमोरियल अवार्ड’ इसका ताज़ा प्रमाण है। उनकी आत्मकथा 'I Dare. It's Always Possible' सन 1998 में प्रकाशित हुआ था। सन 2007 में उन्होंने सेवानिवृत्ती ली।


प्रमुख पद :

दिल्ली यातायात पुलिस प्रमुख
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्युरो
डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलीस, मिजोरम
इंस्पेक्टर जनरल ऑफ प्रिज़न, तिहाड़
स्पेशल सेक्रेटेरी टू लेफ्टीलेन्ट गवरनर, दिल्ली
इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलीस, चंडीगढ़
जाइंट कमिश्नर ऑफ पुलीस ट्रेनीग
स्पेशल कमिश्नर ऑफ पुलीस इंटेलिजेन्स
यू.एन. सिविलियन पुलीस एड्वाइजर
महानिदेशक, होम गार्ड और नागरिक रक्षा
महानिदेशक, पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो

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